( चाल - ऐ गिरी नंदिनी )
ॐ श्री विधी हरी हर करुणा सागर दत्त गुरु जय नमोस्तुते ।
त्रिभुवन पालक विश्व रक्षका दयानिधे प्रभु नमोस्तुते
।।१।।
भवभय हारक दुःख निवारक आनंद कंदा नमोस्तुते ।
विघ्न विनाशक सुबुद्धी दायक दत्त गणेशा नमोस्तुते
।।२।।
श्री चक्रांकीत दिव्य परेशा, वाग्देवता नमोस्तुते ।
श्री विधी हरिहर दत्त दयाळा, दत्त शारदा नमोस्तुते
।।३।।
आदी अंती श्रीगुरुदत्त, दत्त गुरु जय नमोस्तुते ।
त्रिवार वंदन अत्रिनंदना, पुराण पुरुषा नमोस्तुते
।।४।।
श्रीपाद श्री नरहरी दत्ता, अखिलांतका नमोस्तुते ।
विभिन्न रुपी तत्त्व एक, श्रीगुरुदत्ता नमोस्तुते
।।५।।
स्वामी समर्थ माणिक साई, वासुदेवानंदा नमोस्तुते ।
तुच गजानन निवृत्ती ज्ञानदेव, दत्त गुरु जय नमोस्तुते
।।६।।
श्री अखंडानंदा पूर्णानंदा, श्रीगुरुदत्ता नमोस्तुते ।
अनंत कमला परि ज्ञान द्या, दत्त गुरु जय नमोस्तुते
।।७।।
गुरुचरिताचे करण्या चिंतन, रहा संगती नित्य स्वये ।
मकरंद भक्त करती वंदन, दत्त गुरु जय नमोस्तुते
।।८।।
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